चंद वोटों की खातिर !
चंद वोटों की खातिर !
चंद वोटों की खातिर,
एक भाई को भाई से लड़वाते हो,
ये सब इंसान हैं,
जिसे तुम हिंदू-मुसलमान बताते हो।
इंसान भूल जाता इंसान को,
नफरत सिर पर चढ़ जाती है,
इंसानियत काँपने लगती है,
जब तुम दंगे करवाते हो।
झुक जाता है सिर उस माँ का,
जिसने तुमको जन्म दिया,
मजहब की आड़ में,
जब तुम मासूमों का गला दबाते हो।
जिनकी रहमत से जिंदा है,
तू उनके रहने की फिक्र ना कर,
सबके दिल में रहते हैं वो,
तुम मंदिर-मस्जिद में भटकाते हो।।
