STORYMIRROR

S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Romance Tragedy

3  

S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Romance Tragedy

ग़ज़ल: जिनको अपना बनाए बैठे थे

ग़ज़ल: जिनको अपना बनाए बैठे थे

1 min
239

 जिनको अपना बनाये बैठे थे, दिल में बसाये बैठे थे।

  हमको उस शख़्स ने ही ठुकराया ।


1.  मेरी बर्बादियों पर खुश हैं वो,

    दिखते ऊपर से थे जो हमसाया।


 2. मेरी किस्मत का तो ये आलम है ,

      फूल चाहा, हमेशा खार आया


3. हमको ज़ज़्बा-ए-मोहब्बत ने फ़ना कर डाला,

    आज तक ख़्याल न एक बार आया।


4. या खुदा हम भी कितने भोले थे,

   उनको ऐतबार न हर बार आया।


5. बचा ही क्या है , ज़िन्दगी में 'सुख'

    तेरे दर से हो शर्मसार आया।

                                               ✍️ उल्लास भरतपुरी


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance