जिन्दगी
जिन्दगी
जिन्दगी की भाग-दौड़ में
भूल गए कुछ सुकून भरा
आराम परस्ती को जिन्दगी समझे
जिया न कुछ जुनून भरा
जद्दोजहद वालों से मुखातिब न हुए
शायद इसलिए किसी काबिल न हुए
बेकार की बातों में उलझे, कोई इबारत न लिखी
तो लिफाफा बंद ही रहा, था जो मजमून भरा।
