जिंदगी तो बस खुली किताब है
जिंदगी तो बस खुली किताब है
ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो बस एक खुली किताब है1
खुल के जियो ज़िन्दगी की किताब का हर एक पल
इस किताब के पन्नो में कभी धूप तो कभी छाव है
हौसला रख , जीवन मे आई हर मुश्किलों के
इन्ही पन्नो में कही न कही तो सारे जवाब है!
ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो बस एक खुली किताब है!
ज़िंदगी के हर कोरे पन्नो को रंगीन बना लो
लोभ माया को त्याग जीवन सफल बना लो
अगर हुई भूल तो स्वीकार कर लीजिए
हर रिश्तो की गहराइयों का यह सारा हिसाब है!
ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो बस एक खुली किताब है!
कभी उतार तो भी चढ़ाव है ज़िंदगी
जीवनरूपी किताब को कर्मो से सुंदर बना लो
सुंदर वाणी , सत्य कर्मो से इसको सजा लो
फिर तो मानो आपकी ज़िंदगी लाजवाब है!
ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो बस एक खुली किताब है!
किसी भी रिश्तों में आई तकरार को
क्षमा दान दे कर उस रिंश्ते को सवांर लो
पुराने मतभेदों को भूल कर जिया है यहां
वही तो कहलाता रिश्तों का असली नवाब है!
ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो बस एक खुली किताब है!
ज़िंदगी का हर पल हर लम्हा कुछ खास है
हर एक सास पर टिकी छोटी सी आस है
जीवनरूपी पुस्तक के हम स्वंय ही रचयिता है
कब हार हुई कब जीत सब का खिताब है!
ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो बस एक खुली किताब है!