जिंदगी मेरे घर आना-दो शब्द
जिंदगी मेरे घर आना-दो शब्द
जिन्दगी
जब भी मेरे घर आना
उनकी पायल की झनकार
और साथ में उनकी मोहब्बत की सरगम लाना-
महकती हुई भीनी खुशबू
और लरजती हुई उनकी देह गंध-
झुकी पलकों में छुपे
उनके मोहब्बत - ए-उल्फत के अनुबंध-
उंगलियों के पोरों से
सीने पर गोदी गयी इश्क के दास्ताँ के
अनपढ़े शब्द संजो लाना-
जिन्दगी
जब भी मेरे घर आना
उनकी पायल की झनकार
और साथ में उनकी मोहब्बत की सरगम लाना-
गिरती हुई रिमझिम सी बारिश
चमकती हुई बिजलियाँ और धड़कती हुई
संवेदना -
श्वासों की रिदम, आंखों की शरारतें
शरबती अधरों की कल्पना-
महकता हुआ आंगन
सावन का यौवन, सपनों की सौगातें
आकर आहिस्ता से बिखेर जाना-
जिन्दगी
जब भी मेरे घर आना
उनकी पायल की झनकार
और साथ में उनकी मोहब्बत की सरगम लाना-
यूं तो जिन्दगी
कट जायेगी अकेले भी
पर क्या उन के बिना जिंदगी को जिंदगी का अहसास होगा-
क्या नीले दिल के आकाश में
चमकते तारा मंडलों के बीच,
बादलों से लुका-छिपी करता महताब होगा-
वो न आ सके तो
उनके अहसासों को स्वर देकर
मेरे गीतों को उनकी यादों की बूंदों में महका जाना-
जिन्दगी
जब भी मेरे घर आना
उनकी पायल की झनकार
और साथ में उनकी मोहब्बत की सरगम लाना-

