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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

जिंदगी में हम रोज जलते हैं

जिंदगी में हम रोज जलते हैं

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ऐसा नहीं कि वो रोज सजते हैं

यादों में वो करवट बदलते हैं,

जबसे हुये वो रुखसत प्यार में,

जिंदगी में हम रोज जलते हैं।


वो जिंदगी की राह समझ नहीं सकते,

प्यार की गहराइयों में खो नहीं सकते,

क्या फायदा यादों से दिल को जलाकर,

वो जब आग दिल की बुझा नहीं सकते।


देखो हाल बुरा होगा उनका प्यार में,

ऐसा नहीं कि प्यार होगा एतबार मे,

हम जान गये कि वो भटके हैं प्यार में,

एहसास नहीं करेंगे इश्क के बाजार में।


वो आयेंगे और उन्हें लौटना होगा,

ऐसा यकीन विश्वास करना होगा,

प्यार के बिना जिंदगी अधूरी है,

जिंदगी में उन्हें प्यार समझना होगा।



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