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Sachhidanand Maurya

Abstract

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Sachhidanand Maurya

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जिंदगी क्या है?-पार्ट-३

जिंदगी क्या है?-पार्ट-३

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खूबसूरत सफर सी लगती है जिंदगी,

कभी साथी कभी हमसफ़र सी लगती है जिंदगी

कभी दवा के असर सी लगती है जिंदगी,

कभी दुआ बेअसर सी लगती है जिंदगी,

कभी कोना छोटा कभी घर सी लगती है जिंदगी,


मैं खुश तो इधर जिंदगी,

वो गम में तो उधर जिंदगी,

कभी बातों में अगर मगर जिंदगी,

कभी अमृत कभी ज़हर जिंदगी,

कभी शीशे में जाती सँवर जिंदगी,

कभी शीशे सी जाती बिखर जिंदगी,



कभी सुनहरे झील की आब सी लगती है,

कभी तोहफा कोई नायाब सी लगती है,

कभी सारे उलझे हुए सवालों का,

खूबसूरत जबाब सी लगती है,

जिंदगी खुली किताब सी लगती है,



चमन में अलि-दल है जिंदगी,

खेत की लहलहाती फसल है जिंदगी,

कभी धूप तो कभी बादल है जिंदगी,

माँ का प्यार उसका आँचल है जिंदगी







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