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Sachhidanand Maurya

Abstract

4  

Sachhidanand Maurya

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जिंदगी क्या है?-पार्ट-2

जिंदगी क्या है?-पार्ट-2

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गमों का सैलाब है जिंदगी,

खुशियों का गुलाब है जिंदगी,

कभी हँसना कभी रोना,

कभी पाना कभी खोना,


जो देखे कभी रातों को

वो खूबसूरत ख्वाब है जिंदगी,

जिसे तुम रख नही पाते,

उम्र भर का वो हिसाब है जिंदगी ।


खुदी चेहरा खुदी दर्पण है जिंदगी,

खुद के लिए खुद का समर्पण है जिंदगी,

रणबाँकुरे हो तुम रण है जिंदगी,

कब काल कर लेगा तुम्हे आगोश में

अनिश्चिताओं भरा क्षण है जिंदगी।


हर वक्त व्यस्त रहने का नाम है जिंदगी,

व्यस्त लम्हों में थोड़ा आराम है जिंदगी,

कभी सुबह तो कभी शाम है जिंदगी,

थके इंसान का हसीन जाम है जिंदगी।


सुनहरी धूप की तरह खिलती है जिंदगी,

महकती शाम की तरह लरजती है जिंदगी,

कभी एक पल के लिए भी तरसती है जिंदगी,

तो कभी हसीन लम्हों के जैसे बरसती है जिंदगी।


कभी वीरान रातों की वीरान तन्हाई है जिंदगी,

कभी अपनी कभी पराई है जिंदगी,

कभी मोहब्बत कभी रुसवाई है जिंदगी,

सब कुछ भुलाकर खो जाता हूँ मैं,

कभी हसीन यादों की परछाई है जिदगी।


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