जिंदगी की शायरी
जिंदगी की शायरी
हम तो जिये जा रहे थे, जीने की धुन में
एक तुम्हीं ने आकर जीने का मतलब समझाया।
जिंदगी बड़ी आसान होती
अगर जान हमारी, हमारी जान होती।
कहने को तो ज़िंदा हूँ
लेकिन जीता कभी-कभी हूँ।
बकाया है कई क़र्ज़ ए जिंदगी
पहले ख़ुशियों की किश्त तो चुका लेने दे।
पहले जी रहे थे, फिर जियेंगे
लेकिन मैं जी कहा रहा हूँ।
मुक़्क़मल तो सारा जहाँ था एक हम ही थे
जो अधूरेपन की ऐनक लगाए बैठे थे।
कहने को तो बड़ी आसान है ये ज़िंदगी
फिर यह माथे पर शिकन कैसी।
एक दिन जियूँगा जीने के लिए
न कि पुराने दर्द सीने के लिए।
नशे में जी लेता हूँ कुछ पल वरना
होश में तो वैसे भी बेहोश ही रहता हूँ।
ज़िंदगी के राज़ जानकर भी क्या कर लोगे
ख़ुश तो तुम वैसे भी नहीं रहने वाले।