जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
तेरे लब पर मेरा नाम हो
यूँ ही जिंदगी की शाम हो
तेरे भुजपाश में साँसे थमे
सारी उम्र मेरी तमाम हो..
दर्द से दौर से जब गुज़रे
सिर वक्ष से लगा लेना
माथ पर बोसा सजाना
जुल्फें किनारे कर देना
बहते अश्कों में प्रेम के
हाँ प्रेम के ही जाम हो..
कितने अपने बन आए चले
आखिरी वक़्त में भी ये छले
न सुहाये इन्हें मौत-ए-सुकूं
तू मेरे पास है, ज़माना जले
बंद आँखे हो अलिंगन तेरा
खुली आँख में प्रभु धाम हो..