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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

Romance

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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

Romance

हम तो भटक रहे हैं गली कूचे यार

हम तो भटक रहे हैं गली कूचे यार

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हम तो भटक रहे हैं गली कूचे यार के।

शायद इधर से गुजरे कभी दिन बहार के।


कोई भी दरमियान न हो मेरे और तेरे।

आंखें तरस गईं तेरा रस्ता निहार के।


मेरे वफा की तुझको खबर होगी एक दिन।

खामोश तन्हा बैठा हूं दिल अपना मार के।


मेरे गम ए हयात का किस्सा यह मुख्तसर।

शिकवा सुने सगीर कौन दिल फिगार के।


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