हम तो भटक रहे हैं गली कूचे यार
हम तो भटक रहे हैं गली कूचे यार
हम तो भटक रहे हैं गली कूचे यार के।
शायद इधर से गुजरे कभी दिन बहार के।
कोई भी दरमियान न हो मेरे और तेरे।
आंखें तरस गईं तेरा रस्ता निहार के।
मेरे वफा की तुझको खबर होगी एक दिन।
खामोश तन्हा बैठा हूं दिल अपना मार के।
मेरे गम ए हयात का किस्सा यह मुख्तसर।
शिकवा सुने सगीर कौन दिल फिगार के।