ग़ज़ल
ग़ज़ल
इशारों से न यूं पागल बना मुझको
मुहब्बत है तो सीने से लगा मुझको
सितारों में व चंदा में रखा क्या है
तुझे लगता हूं मैं कैसा बता मुझको
किसी वादे कसम का क्या भरोसा है
रखा है दिल अगर धड़कन सुना मुझको
ज़माने में न चर्चा हो हमारा कल
पिता से आज ही तू चल मिला मुझको
मुझे इतनी खुशी दे मैं बहक जाऊं
बिछड़ने का इरादा फिर बता मुझको।