जिंदगी की किताब
जिंदगी की किताब
खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी,
हरेक हर्फ़ में सिमटी एक कहानी है,
कहीं कुछ पन्नों में सिमटी हैं खुशियां,
बाकी जद्दोजहद से दोस्ती पुरानी है।।
मायूसियों के भी हैं इसमे कुछ पन्ने,
औऱ बहुतों में उम्मीद की रवानी है,
जिंदगी के सफर के हैं ये सब पत्थर,
हर पत्थर की खुद अपनी जुबानी है।।
जब भी सोचूँ की मुझे क्या क्या मिला,
और क्या क्या जिंदगी मैं मैंने खोया है,
सबक इस किताब से बस मिला ये ही,
काटा वही यहां जो बस हमने बोया है।।
इस किताब में हैं कुछ ऐसे किरदार भी,
जो पढ़ने में तो लगते कितने अजीब है,
जिक्र नहीं है फ़ेहरिस्त में कहीं भी उनका ,
पर मेरे दिल के शायद वो सबसे करीब हैं।।
यहां पर मिलेंगे कुछ तुम्हें ऐसे भी बेतरतीब पन्ने ,
जहां कलम की स्याही अभी तक नम रही होगी,
इनके हर्फ़ और वाकये अधूरी ख्वाइशें हैं मेरी,
जिनमें रही मेरे ज़ज़्बों कि धूप थोड़ी कम होगी।।
इस किताब का भी कहीं कोई तो अंजाम होगा,
नहीं मालूम वो नाम या फिर बस बदनाम होगा,
नहीं इख्तियार मेरा जमाने तेरी रायशुमारी पर,
हसरत यही कि हर जुबां पे मेरा कलाम होगा।।