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Pratibha Bilgi

Abstract

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Pratibha Bilgi

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जिंदगी के मायने

जिंदगी के मायने

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बदल रहे है जिंदगी के मायने, मेरे लिए

हो गयी दूसरों की, बट गयी किश्तों में !


नजर आ रहे हैं, रिश्तों के बदलते रंग

कोशिश बांध के रखने की, लग रही नामुमकिन हमें !


फिसल रहा हाथों से वक्त, आंखों के सामने

थामना हूँ चाहती, उम्मीद कोई न आती जहन में !


जुबां से कुछ न कह सकती, किसे भी

पर चुप रहना, गलत माना जाएगा बाद में !


समझे नहीं, या नासमझी का बहाना किए

सब मेरी मजबूरी पे, हंसते हुए से लगते !


उतार -चढ़ाव के बीच, खुद को न खोया जाए

दिखा देना चाहती हूँ, इस सबसे मैं हूँ परे !


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