"जिंदगी का सार"
"जिंदगी का सार"


कंधों का भार
ख्यालों के तार
सुनाने विकल हूँ मैं....
कल्पना को मार
उल्लास की हार
आँखों की धार
सुनाने विकल हूँ मैं....
ममता की वार
अन्तर्मन की रार
करुणा का ठार
सुनाने को विकल हूँ मैं....
गम के ख़ार
प्रेम के यार
समय का ज़ार
सुनाने को विकल हूँ मैं....