जिंदगी का मज़ा लीजिए
जिंदगी का मज़ा लीजिए
आज याद आ रही
वो मदमस्त ज़वानी,
वो यौवन की मस्ती ,
रगों में रवानी ।
उमंगों भरी थी ,
जब ये ज़िंदगानी ।
थी कभी अपनी भी ,
ये दुनिया दीवानी ।।
अब आया बुढ़ापा ,
बीती दिलकश कहानी ।
खतरे के निशान से ऊपर
बह रहा अब उम्र का पानी...।।
वक़्त की बरसात है कि
थमने का नाम नहीं ले रही ।
बालों में सफेदी,
चेहरे पर झुर्रियां
हैं बेबस आंखे .....
ख्वाहिशें ये ज़िन्दगी की ,
कि थमने का नाम नही ले रहीं ।।
दिल कर रहा ,
आज एक बार... फिर से रूठ जाऊँ,
फिर किसी से इतराऊँ
किसी को नखरे दिखाऊँ
फिर कोई मनाए
फिर कोई सहलाये
कोई बाहों में समेटे
और मैं झट से मान जाऊं ।
बेज़ार हो गया हूँ
है उम्र का तकाज़ा मेरे भाई ,
मायूसियों के मेले
और फैली तन्हाई ।
फिर सोचता हूँ
गर रूठ गया मैं,
तो मुझको अब मनायेगा कौन...?
हाथ पकड़ कर मेरा, मेरे पास बैठ ,
गले से मुझको.. लगाएगा कौन ....?
रखा करो नजदीकियां,
ना बनाओ ये दूरियां ।
इस डूबती ज़िन्दगी का,
अब कुछ भरोसा नहीं.....।
कब थम जाएं सांसे ,
रुक जाएं ये धड़कने,
एक पल का भी मेरे भरोसा नही ..।।
फिर रंज मत करना
कि मिले भी नहीं
ये गिला भी न करना
कि चले भी गए
और ...बताया भी नहीं ।
जाते जाते अपनी,
ज़िन्दगी का तज़ुर्बा,
हम अपनों को ..बताया भी नही ।।
बता रहा हूँ एक बात
आने दिल से लगा लीजिए ।
उम्र का हरेक दौर, दिलकश है
इसको फूलों सा ....सजा लीजिए ।।
दुश्वारियों में , मायूसियों में इस कदर
ना इसको कभी आप गवा दीजिए ।।
पल पल बीत रही है ये ज़िन्दगी ,
इस ज़िंदगी के हर इक दौर का ,
बस मज़ा लिजिए....।।
इस ज़िंदगी के हर इक दौर का ,
बस मज़ा लिजिए.......।।