जिंदगी गरीब की
जिंदगी गरीब की


लोग कहते हैं शानो शौकत सी है ज़िन्दगी
फकीरों की नज़र में इक क़हर है ज़िन्दगी
भुखमरी की आड़ में इज्ज़त मुश्किल
मौत के जैसी बेहद बदतर है ज़िन्दगी
दंगों के साये रात कटना है बेदम
ख़्वाब के नशें में बेख़बर है ज़िन्दगी
रोशनी की आस तक इन्जार करते रहे
उस हंसी सुबह का इन्जार है ज़िन्दगी
हम जिये भले ही अभावों में
बच्चों का निखरे भविष्य वो है जिंदगी
ईद दीवाली तो बस नाम की है
दो जून की मिले जो रोटी वो है ज़िन्दगी!