जिंदगी और दिल्ली
जिंदगी और दिल्ली
हम वृद्ध हो गये इतनी जल्दी
समय बीत गया इतनी जल्दी
अब तक तो दिल्ली दूर थी
अब दिल्ली भी पास चुुकी थी
न जाने अब कब तक ऐसा होगा
अब तक हमारा साथ यूं ही रहेगा
याद आती है अब भी वो शामें
जब हम तुम चलते थे यूं हाथों को थामें
जब घनघोर घटा छा जाती थी
अपने प्रेम की छटा समोसे के प्लेट में बस जाती थी
हम तो बस उसी दिन लांग ड्राइव पर गये
शाम ढलने तक वापस न आ पाएं तो डर गये
जिंदगी की वो शाम इतनी जल्दी ढल गई
जिंदगी क्यूँ दिल्ली इतनी जल्दी पास आ गई!

