जिंदगी-अब तक
जिंदगी-अब तक
दुनिया में हम जब आये
सत्तर का दौर था,
उस समय की बात अलग
जमाना कोई और था ।
चार पांच साल तक की
बात नहीं याद अब,
छोटे से एक घर में रहते
कई परिवार साथ सब ।
मोहल्ले में सुबह से शाम
कंचे खेलने जाता था मैं,
गालों पे पापा के थप्पड़
मम्मी की डांट खाता था मैं ।
घर में टी वी नहीं था
पड़ोस में थे चले जाते,
लाइन में फिर बैठ के
चित्तरहार का आनंद थे पाते ।
घर में जब फिर टी वी आया
सारा दिन थे बैठे रहते,
बंद कर दो अब तो भाई
मम्मी पापा कहते रहते ।
घड़े का पानी थे पीते
बाजार से बर्फ थे लाते ,
आ गया जब फ्रिज घर में
आइसक्रीम थे हम जमाते ।
स्कूल तो बस नाम का था
ए बी सी छठी में पढ़े थे,
अंग्रेजी नहीं थी हमको आती
फिर भी क्लास में प्रथम खड़े थे ।
दिन में दोस्तों संग मस्ती
रात में हम छत पे सोते,
बारिशों का दौर होता
जल्दी से फिर बिस्तर ढोते ।
मेट्रिक में प्रथम आये
पापा मेडिकल दिलाये,
अंग्रेजी में थीं सब किताबें
हम को कुछ समझ न आए ।
छह महीने हो गए जब
समझ में कुछ आने लगा,
ग्यारहवीं में पास हुए
मेडिकल भी भाने लगा ।
पी एम टी क्लियर हुआ
मेडिकल कॉलेज में गए,
रैगिंग भी जम के हुई
छह महीने बीत गए ।
दोस्ती का दौर चला
कुछ लोकल भी थे यार,
कुछ से गहरी दोस्ती थी
हॉस्टल में वो थे चार ।
अगले साल जूनियर्स की
ट्रेन हमने भी बनाई,
रैगिंग पिछले साल दी थी
लेने की अब बारी आई ।
दोस्तों के साथ महफ़िल
रात को वो मूवी जाना,
चार वो और पांचवां मैं
घंटों फिर गप्पें लड़ाना ।
स्पोर्ट्स फेस्टिवल था मस्त
हार गए,जीत गए,
पता ही नहीं चला कब
पांच साल बीत गए ।
पी जी की तैयारी में तब
ऍम सी क्यूस में उलझ गए,
सारे साथी बिछुड़ गए
इधर उधर निकल गए ।
पी जी कर के आ गए घर
शादी की और घर बसाया,
पापा ने इक छोटा सा फिर
हॉस्पिटल था खुलवाया ।
हॉस्पिटल को चलाना
इतना न आसान था,
रात को सोने न देगा
इतना न हमको भान था ।
हॉस्पिटल बड़ा हुआ
गाडी आयी घर आया,
दिन रात मेहनत की
पैसा हमने भी कमाया ।
डाक्टरनी है बीवी अपनी
और हमारे दो हैं बच्चे,
छोटा सा परिवार अपना
सब के सब हैं बहुत अच्छे ।
दस साल हो गए जब
घूमने हम जाने लगे,
झील और समुन्द्रों के
सपने हमें आने लगे ।
प्रकृति है बहुत सुँदर
इंटरनेट पे पढ़ने लगे,
ट्रैकिंग का शौक लगा
पहाड़ों पे हम चढ़ने लगे ।
लिखने का कभी मन था होता
देर रात तक मैं जगता,
दोस्त जब बड़ाई करते
मन को बहुत अच्छा लगता ।
बच्चे अब पढ़ लिख गए हैं
बाहर जाने की है बारी,
एक तो चला गया है
दूसरे की है तैयारी ।
हम तो अपने दिल की मानें
कोई माने या न माने,
अब तक अच्छी कटी है
आगे की राम जाने ।
