***जिंदगानी***
***जिंदगानी***
तू मेरी आँखों में पानी दे गया
बस मोहब्बत की निशानी दे गया।
बेरुख़ी लफ्ज़ो से क्या ज़ाहिर करूँ
तू क़लम मुझको पुरानी दे गया।
लफ्ज भी बीमार सारे पड़ गए
आके बारिश में रवानी दे गया।
दिल में रखलो ना चिराग़ यादों के
कह देना के जिंदगानी दे गया।
रौशनी हमने तेरी भी देख ली
चाँद ,सूरज को जवानी दे गया।
ख़ामोशी अल्फाज़ो को सहनी पड़ी
हद से ज़्यादा वो परेशानी दे गया।
दर्द लिखकर खुश कोई होता नहीं
मुझकों ज़ख्मो की कहानी दे गया।
दोस्ती,वादा, वफ़ा-ए- इश्क़ में
"नीतू" खुशबु जाफ़रानी दे गया।