जीवन
जीवन
मृत्यु तो क्षण भर का विश्राम
आत्मा बदलती है शरीर का चोला
और जीवन का चलता रहता है तामझाम
जीव का कंहा है एक धाम
जीवन का चलता रहता है काम
शरीर बदलते हैं, रिश्ते बदलते हैं
नित नए रूप में जीवन सजते हैं
जीवन कंहा हो पाता है तमाम
जब तक मनुष्य न हो निष्काम
न जाना चाहें परम धाम
छोड़ न दे अर्थ और काम
तब तक मोक्ष नहीं होता
नहीं मिलता जीवन में आराम
मृत्यु पर शोक मत कर
पल भर का विश्राम
और पुनः जीवन का नया नाम।