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Goldi Mishra

Inspirational

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Goldi Mishra

Inspirational

जीवन की परिभाषा ( मातृभाषा)

जीवन की परिभाषा ( मातृभाषा)

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निज होते इस परिवर्तन को मैने बहुत पास से देखा है,

बनते बिगड़ते समाज में मैने मातृभाषा को मजबूती से खड़े देखा है,।।

हमारी ज़ुबान हमारी पहचान है,

हिंदी भारत राष्ट्र का गौरव और सम्मान है,।।

भाषा एक सूत्र सी है,

ये राष्ट्र को एक धागे में पिरोए रखती है,।।

अनेकों सुनी है बोली,

पर ना मिल सकी हिंदी सी मीठी बोली,।।

निज होते इस परिवर्तन को मैने बहुत पास से देखा है,

बनते बिगड़ते समाज में मैने मातृभाषा को मजबूती से खड़े देखा है,।।

किसी भी देश में बस जाना,

अपनी मिट्टी अपनी भाषा ना भूल जाना,।।

गुलामी की बेड़ियों को सिर्फ मातृभाषा ही तोड़ सकती है,

भाषा ही जज्बातों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनती है,।।

हिन्द के माथे का तिलक है हिंदी है,

क,ख, ग से परे भी एक अद्भुत एहसास सी है हिंदी,।।

निज होते इस परिवर्तन को मैने बहुत पास से देखा है,

बनते बिगड़ते समाज में मैने मातृभाषा को मजबूती से खड़े देखा है,।।

भाषा और बोली के आधार पर कई राष्ट्र को मैंने बिखरते देखा है,

मैंने अपने राष्ट्र को हिंदी भाषा के बल पर संवरते देखा है,।।

राजा राम मोहन राय ने इसे भाषा नहीं भावना कहा,

नेहरू ने हिंदी भाषा में हिन्द की गाथा को लिखा,

मातृ भाषा का तिरस्कार कभी ना करना,

अपनी भाषा को अपना स्वाभिमान समझना,।।

निज होते इस परिवर्तन को मैने बहुत पास से देखा है,

बनते बिगड़ते समाज में मैने मातृभाषा को मजबूती से खड़े देखा है,।।

देश छोड़ कर अपना हम परदेस में बस गए,

पहन कर परदेसी चोला हम अपनी संस्कृति भूल गए,।।

गीत सुने थे परदेसी बोली में ,

मैंने जज्बात झलकते देखे हिंदी बोली में,।।

काग़ज़ पर किसी ने हिंदी लिखा था,

गजब की बात है हिन्दी में हिन्द शब्द छुपा था,।।

  


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