जीवन की डोर
जीवन की डोर
मेरे जीवन का सार हो तुम,
हर खुशी का राज़ हो तुम।
मैं बह चली जिस ओर,
उस नदी की धार हो तुम।
मुस्कुराहटों के साथी तुम,
हर क़दम की मंज़िल तुम।
तूफानों से जो टकरा जाए,
उस पहाड़ की ढाल हो तुम।
मेरी आंखों का पानी तुम,
हाथों की लकीर हो तुम।
जो खुद जल कर दे रौशनी,
मुझ दिया कि बाती हो तुम।
मेरे दिल की धड़कन तुम,
हर लहर की करवट तुम।
एक दूजे में जो समा जाएं,
मुझ राधा के कृष्णा तुम।