जीवन का सार
जीवन का सार
सृष्टि के पालन हेतु मानव जीवन का अवतार हुआ
मां से मिला जन्म हमें ईश्वर ने मां के रूप में वरदान दिया
बाल्यकाल बीता जीवन का फिर युवावस्था को पार किया
पहुंचा अपने अंतिम पड़ाव में और मृत्यु को स्वीकार किया
जीवन मृत्यु के खेल से मुक्त होकर इस संसार से विदा हुआ।
मां ने बोलना सिखाया हमें अपने पैरों पर खड़ा किया
गुरु से हमने शिक्षा ली गुरु ने हमें जीवन जीना सिखा दिया
अर्जित ज्ञान का प्रयोग करके जीवन लक्ष्य को प्राप्त किया
पहचान बनाई दुनिया में फिर कर्म क्षेत्र के लिए तैयार हुआ
बाकी जो कुछ रह गया था वो इस संसार में भी सिखा दिया।
अपना मुकाम बनाने जिंदगी की दौड़ में भागता रहा
मिली उसको वैसी ही जिंदगी जिसने जैसा कर्म किया
जिसने रखा शुद्ध विचार,पाप,क्रोध से मुक्त जीवन बिताया
संसार में बढ़ी ख्याति अच्छे कर्मों का फल इसी युग में पाया
छल कपट,बुरे विचार जिसके उसने कष्टमय जीवन बिताया।
जन्म मृत्यु,कर्म और फल यह सब जीवन का सार बताता
जन्म मृत्यु है जीवन की सच्चाई इसे टाल नहीं कोई सकता
हमारा अच्छा बुरा कर्म ही लौटकर हमारे पास वापस आता
सभी प्राणियों को उसके कर्मों के हिसाब से ही फल मिलता।