जीवन का अंतिम दौर
जीवन का अंतिम दौर
क्या हुआ जो बूढ़ा हो गया हूं मैं ,
जवानी अभी तक बाकी है।
तुम्हारे बगैर ही ,
चलना मेरा जारी है।
यह सोचकर मैंने नहीं दिया था तुम्हें जन्म,
कि तुम मेरा ख्याल रखोगे,
जवानी में तुम मेरा साथ दोगे ,
और बुढ़ापे में ऐसे ही छोड़ जाओगे।
जिस बुढ़ापे को मैं,
खुशी से जीना चाहता हूं
दर्द के सिवा और ,
कुछ नहीं रख पाता हूं।
चलता तो मैं रहता हूं ,
मगर वह खुशी नहीं पा पाता हूं
वक्त गुजरता जाता है ,
मै
ं वह दर्द संभाल ना पाता हूं।
लाख दर्द दिए तुमने मुझे ,
खुशी-खुशी मैंने इसे सह लिया
आखिरकार तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दिया,
तुमसे जो मैं अलग चल दिया।
इतने बड़े हो गए हो तुम ,
असलियत को ना समझ पाया
बुढ़ापे का सहारा बनने के बजाय,
अपने फोन से नाता बढ़ाया।
तुम भी मेरी स्थिति में आओगे ,
मुझे अच्छी तरह से समझ पाओगे
मैं नहीं चाहता कि वह दर्द तुम्हें भी मिले,
जो तुम मुझे देते जाओगे।