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Jayshree Prusty

Tragedy

4.3  

Jayshree Prusty

Tragedy

जीवन का अंतिम दौर

जीवन का अंतिम दौर

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क्या हुआ जो बूढ़ा हो गया हूं मैं ,

जवानी अभी तक बाकी है।

तुम्हारे बगैर ही ,

चलना मेरा जारी है।


यह सोचकर मैंने नहीं दिया था तुम्हें जन्म,

कि तुम मेरा ख्याल रखोगे,

जवानी में तुम मेरा साथ दोगे ,

और बुढ़ापे में ऐसे ही छोड़ जाओगे।

 

जिस बुढ़ापे को मैं,

खुशी से जीना चाहता हूं

दर्द के सिवा और ,

कुछ नहीं रख पाता हूं।


चलता तो मैं रहता हूं ,

मगर वह खुशी नहीं पा पाता हूं

वक्त गुजरता जाता है ,

मैं वह दर्द संभाल ना पाता हूं।


 लाख दर्द दिए तुमने मुझे ,

 खुशी-खुशी मैंने इसे सह लिया

 आखिरकार तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दिया,

 तुमसे जो मैं अलग चल दिया।


इतने बड़े हो गए हो तुम ,

असलियत को ना समझ पाया

बुढ़ापे का सहारा बनने के बजाय,

अपने फोन से नाता बढ़ाया।


तुम भी मेरी स्थिति में आओगे ,

मुझे अच्छी तरह से समझ पाओगे

मैं नहीं चाहता कि वह दर्द तुम्हें भी मिले,

जो तुम मुझे देते जाओगे।


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