अपनों की पहचान
अपनों की पहचान
दुःखों की बात निराली होती है,
ये हमें दोस्तों और दुश्मनों की
पहचान करवाते हैं।
भरोसा करना है ज़रूरी,
मगर इतना नहीं कि
सब उड़ा दें तुम्हारी धज्जियां पूरी।
भूलना मत अपनों को,
दूसरों की बात सुन के,
अपने ही खड़े होंगे ज़रूरत में।
लोग बहला-फुसला के करवाते हैं
तुमसे अपना काम,
इसलिए तुम्हें होना पड़ेगा सावधान।
तुम से जो प्यार करता है,
उस की कीमत समझो,
और उसकी कदर करो।
मतलबी पे ना गँवाओ
अपना सब कुछ,
काम खत्म होने के बाद,
तुम बन जाओगे उन के लिए तुच्छ।
सही गलत में सीखो तुम फर्क करना,
वरना बाद में होगा तुम्हें पछताना।