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Yogesh Kanava Litkan2020

Abstract Inspirational

4.5  

Yogesh Kanava Litkan2020

Abstract Inspirational

जीवन अंगारों पर

जीवन अंगारों पर

1 min
385


तुम हो अतुल बलशाली, मैं मानती हूँ,

जय पराजय से भी ऊपर मैं जानती हूँ। 

हो रहा रक्त संचारित मेरा तुझ में जानते हो,

किन्तु फिर भी अबला मुझको मानते हो। 

कहाँ कितना सच है आज मुझको बता दो,

तेरे सबल होने के पीछे है कौन यह बता दो। 

नहीं बोल सकते तुम यह बात मैं जानती हूँ,

लाख अत्याचार करो फिर भी अपना मानती हूँ। 

इसलिए कह रही हूँ तुझसे मैं यह बात,

तेरी ताकत के पीछे सदा रही मैं साथ। 

किन्तु फिर भी तुम मुझको निर्बल कहते सदा,

भुज बल मद चूर, अहंकारी तुम रहते सदा। 

मैं निर्बल नहीं, अबला नहीं तुम यह जान लो,

बेहतर है मेरे आत्मबल को तुम पहचान लो। 

मैं हूँ अजेय किन्तु, मद से ना कभी मैं भरी हूँ,

तेरी प्रतिवादी नहीं, मैं तो बस तेरी सहचरी हूँ। 

नारी को दुर्बल समझने की ना तू भूल कर,

जीवन अंगारों पर चलती, सोती ये शूल पर। 

तो बस तू आज मान ले, बस यह जान ले,

कर सकती है सब कुछ, जो मन में ठान ले। 



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