जीत के आगे क्या?
जीत के आगे क्या?
डर के आगे जीत है,
जीत के आगे क्या।
सपना पूरा हो चुका,
समय नहीं रूका।
जीवन का ये काला सच कम लोग जानते हैं,
इसलिए तो वे मुस्कुराते हैं।
पर्वत के बाद ढलान आता है,
फिर से पीछे मुड़ कर उतरना पड़ता है।
कम बच्चे राजपाट संभाल पाते हैं,
असली जीत का मज़ा माँ-बाप उठा पाते हैं।
जीत पाना है या परिवर्तन लाना है,
कम लोग क्यों सोच पाते हैं।
समाज सेवा करना उदेश्य है
तो क्यों रजनीति में भाग लेते हैं।
आप जीत पाना चाहते हैं या परिवर्तन लाना चाहते हैं।
स्वंय विचार कीजिए।