मैं नास्तिक हूँ!
मैं नास्तिक हूँ!
आस्था रखो उस पर,
वो सबकी किस्मत बदल डालता है।
मेरी समझ में एक बात नहीं आता,
किस्मत बदलने से अच्छा वो हमें सक्षम क्यों नहीं बनाता है।
आज का दिन अच्छा नहीं था,
भगवान को कोसना शुरू हो जाता है।
हम तो भूल गए दिन भर जो सांस लिए, सब देख पाए
बस वही तो भगवान है।
"ये" और "वो" करने में जीवन बीत जाता है,
समय से ईश्वर को जोड़ कर देखो,
ये दोनों मिल जाता है।
आज मंगल पर दुनिया बनाने का बात हो रहा है,
सफलता मिल जाने पर,
सौ वर्ष बीत जाने पर,
वहाँ के भगवान कौन होंगे,
वो क्या-क्या कर पाएंगे और देख पाएंगे।
स्वयं विचार कीजिए।
