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Geeta Upadhyay

Inspirational Others

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Geeta Upadhyay

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जीने की इच्छा

जीने की इच्छा

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हादसे को भुलाना चाहा, 

ज़ख्म नासूर बनकर सामने आया। 

सौंदर्य की पराकाष्ठा,

एक अलग ही अंदाज था। 

उसने इजहार किया, इसने इंकार किया। 

दीवानों जैसी हालत थी। 

ये एक तरफ़ा चाहत थी। 

उसका आहत होना, इसकी बर्बादी का सबब बना।  

प्रेमी से देखो कैसे? ज़ालिम विलेन बना। 

कितना गलत रास्ता चुना, ऐसिड अटैक कर डाला। 

मेरी नहीं तो किसी की नहीं -

ये कहकर जीते जी मर डाला। 

बेचैनी, छटपटाहट, दर्द, तड़प, घबराहट। 

दिल में दहशत आँखों में लाचारी,

जिंदगी लगने लगी है, कभी ना ख़त्म होने वाली बीमारी। 

यूं ही मर-मर के जी रही थी। 

पल-पल आँसू के घूँट पी रही थी। 

एक आशा की किरण ने, उसके दिल को छुआ। 

जिंदगी जीने का नाम है। 

मुर्दा दिल भी क्या ख़ाक जिया करते है? 

बिन परो के परिंदे भी हौसलों,

की उड़ान भरते है। 

ऐसे जज्बे को सलाम, पाकर आज वो अपना मक़ाम। 

शुक्रगुज़ार है वो अपने माँ-बाप की,

उनके द्वारा दी गई उच्च-शिक्षा ,

ही बनी है आज उसके -

"जीने की इच्छा।"


 


  

  


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