जीने का अंदाज
जीने का अंदाज
जिंदगी की असलियत का सबको राज बता दो,
खुद जियो और जीने का नया अंदाज़ सीखा दो।
एक बच्चे को पूछा क्यों हर दम हंसते रहता है,
तेरी एक खुशी से देख सारा घर खुश रहता है।
कहा उसने कि मैं बिना कारण हंसते रहता हूँ,
इसलिए मैं सबको काफी खुश दिखता हूँ।
ख़ुशियों से लोगो की जिंदगी में चार चाँद लगा दो,
खुद जियो और जीने का अंदाज़ सीखा दो।
नौजवान को पूछा क्यों भविष्य की चिंता करता है,
मौज़ मस्ती को छोड़कर किस सोच में डूबा रहता है।
कहा उसने नाम व शोहरत का ज़ज़्बा अभी बाकी है,
हासिल करके कुछ मंज़िल पर अपना नाम लिखा दो
हर जवां दिल को जिंदगानी का एहसास करा दो।
एक बुजुर्ग से पूछा मैंने क्यों तू बैठा अकेला है,
तेरे घर में भरा तेरे ही परिवार का मेला है।
कहा! बच्चों को हाथ पकड़कर चलना सिखाया,
उन्होंने ही घर से बेघर का मुझे रास्ता दिखाया।
जिम्मेदारियों में लोगों की खुद को ना भुला दो,
अंदर की इच्छा से तुम सपनों का संसार बसा दो
खुद भी जियो और लोगों को नया अंदाज़ सीखा दो।