जीना चाहता हूं सनम तुम्हारी नज़रों में नजरे डाल कर
जीना चाहता हूं सनम तुम्हारी नज़रों में नजरे डाल कर
जीना चाहता हूं सनम तुम्हारी नज़रों में नजरे डाल कर
लिखना चाहता हूं सनम तुम्हें कागज पर उतार कर।।
तुम रहो दिल्ली मैं रहूं इलाहबाद ये बात न चाहता हूं
जी लिया हूं बहुत अकेला, अब साथ जीना चाहता हूं।।
नयन मोती समन्दर पार ना अब मैं व्यापार चाहता हूं
अब बस चाहत हमारी इतनी तुम्हारी प्यार चाहता हूं।।
बहुतों ने लिखा तुम्हें दिल की धड़क मैं आत्म लिखता हूं
तुम्हारे सिवावा है क्या दुनिया मैं तुम्हें परमात्मा लिखता हूं।।