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जी करता है

जी करता है

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आज खुद को गले

लगा कर सोने को

जी करता है,

अपने कंधे पर

सर रख कर

रोने को

जी करता है,

अपने आंसुओं से

शिवालय धोने को

जी करता है,

समुन्द्र की रेत से

बनाया था जो आशियाना

उसे समुन्द्र को

सौंपने को

जी करता है,

बिन पहचान जीते

रहे आज तक

अब अपनी पहचान

के साथ मरने को

जी करता है,

आज खुद को गले

लगा कर सोने को

जी करता है...


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