झाँसी की रानी
झाँसी की रानी
‘मी-टू’ का हर ओर शोर है
बहुतों की खुल रही पोल है
महिलाओं में स्फूर्ति आई
चुप्पी तोड़ कर सामने आईं
पर न हैं ये अबला नारी
इनकी भी थी जिम्मेदारी
आवाज इन्होंने तब न उठाई
दोषी को न सजा दिलाई
शायद कोई ‘डील' रही हो
जिसके कारण ढील सही हो
नारी जो शिक्षित समर्थ है
उसका शिक्षित होना व्यर्थ है
यदि वह अन्याय सहती है
शोषण खुद का होने देती है
शक्ति का भंडार है नारी
दुर्गा का अवतार है नारी
बेनकाब हर वह शख़्स हो
जिसके भी अंदर राक्षस हो
‘मी-टू’ की न होगी कहानी
हर स्त्री बने झाँसी की रानी
