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Vijay Kumar parashar "साखी"

Romance

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Romance

जब से मोहब्ब्त करली

जब से मोहब्ब्त करली

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201

जब से हमने मोहब्ब्त कर ली है

आंसूओ से हमने झोली भर ली है


अब न दिन में करार है

न ही रात में क़रार है,


ये कैसी शरारत हमने कर ली है

भीगी हुई सी पलकें रहती है,


हमने आंखे दरिया से ज़्यादा भर ली है

दिल पर अंकित है उनकी अमिट यादे,


उनकी यादों ने

आईने की सूरत ही अब बदल दी।


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