जब से मोहब्ब्त करली
जब से मोहब्ब्त करली
जब से हमने मोहब्ब्त कर ली है
आंसूओ से हमने झोली भर ली है
अब न दिन में करार है
न ही रात में क़रार है,
ये कैसी शरारत हमने कर ली है
भीगी हुई सी पलकें रहती है,
हमने आंखे दरिया से ज़्यादा भर ली है
दिल पर अंकित है उनकी अमिट यादे,
उनकी यादों ने
आईने की सूरत ही अब बदल दी।