जब हम छोटे बच्चें थे
जब हम छोटे बच्चें थे
जब हम छोटे बच्चे थे,
दोस्ती भी दिल से करते थे,
हम थी पांच सखियां,
ज्योति अंजू रेखा दीपा और मैं,
कहते लोग हमें पांडव थे,
अपनी ही मस्ती में चूर ,
कभी लड़ते और कभी झगड़ते भी थे
थे लेकिन सच्चे दोस्त,
एक का अगर होता होमवर्क,
बाकी हम कॉपी कर लेते थे जम कर,
एग्जाम में अगर आए नंबर कम ,
पहले मम्मी पूछती थी बाकियों के आए कितने अंक,
होली हमारी थी मोहल्ले में बदनाम,
किसी को नहीं छोड़ते थे सूखा हम शैतान,
साथ स्कूल जाना, साथ ही घर वापस आना,
रास्ते भर मस्ती करते जाना,
शाम को साथ ट्यूशन पढ़ना,
एक दूसरे की कॉपी कर,
सवाल हल करना और सर को दिखाना,
मिलकर सेवन टाइम, टीपी टीपी टॉप खेलना,
ऊंच-नीच का पापड़ा बहुत याद आता है
जब हम छोटे बच्चे थे,
बड़े अच्छे थे,
नादान थे पर एक दूसरे को बड़े अच्छे से समझते थे,
छूट गया वह सब,
हो गए हम सब अपने ही मस्त मलंग,
फोन में होती है बात कभी,
पर पूरी नहीं हो पाती ,
रह जाता है कुछ अधूरा सा छूट
बहुत याद आता है बचपन,
जब हम छोटे बच्चे थे
उसी को समझते थे अपना जीवन।