जैसे वन में चंदन है
जैसे वन में चंदन है
समय और सांसें ही तो सच्चा जीवन धन है।
गिनी चुनी है सांसे और समय थोड़ा कम है।
मत व्यर्थ गंवा ए मन कर सदुपयोग इसका।
जाया करके है रोना शेष रही फिर मात्र चुभन है।
रूठा रूठी छोड़ो साथ निभाने आ भी जाओ।
दुनिया में खुशियां हैं थोड़ी और हजारों गम हैं।
मौसम बदले तुम न बदलो यही कामना है मेरी ।
दूर छितिज तक उड़ें चलो पंखों में इतना दम है।
तुम सागर मैं लहर तुम्हारी साथ तुम्हारे रहूं सदा।
संग पवन के महक तुम्हारी जैसे वन में चंदन है।
