जानलेवा समुद्र
जानलेवा समुद्र
समुद्र जानलेवा नही होता ,
वह तो शांत ही रहता है ,
यदि समुद्र होता जानलेवा,
कोई ना होता नाम लेवा,।
पृथ्वी से तिगुना है समुद्र ,
चाहे तो लील ली एक पल में,
हम ही भरते जा रहे हैं उसे ,
करते जा रहे है अतिक्रमण,।
जब उसके सब्र का बांध टूटेगा ,
वह सबको ले डूबेगा ,
अभी तो चेतावनी दे रहा ,
अब भी सम्हल जाओ मानव।
वरना जब मैं उठूंगा तब ना,
कोई होगा बचाने वाला,
मैं हूं सबसे बड़ा मतवाला,
मुझको और ना छेड़ो ।