जाने कहाँ ले जाए
जाने कहाँ ले जाए
धुँआ-धुँआ ये जिंदगी
जाने कहाँ ले जाए ।
सुलगते दिलों की ये आग
जाने कहाँ ले जाए ।
धुंध में छिपा हमारा आईना
जाने कहाँ ले जाए ।
दुनिया की ये रफ्तार
जाने कहाँ ले जाए ।
रिश्तों से खेलते ज़ज्बात
जाने कहाँ ले जाए ।
अंधाधुंध भागती जिंदगी
जाने कहाँ ले जाए ।
असंख्य अरमानों की ये सड़कें
जाने कहाँ ले जाए ।
बस आगे निकलने की होड़
जाने कहाँ ले जाए ।
अंधेरों में नंगे पैर भागती आकांक्षाएँ
जाने कहाँ ले जाए ।
ये तेज़ रोशनियों से चौंधयाती आँखें
जाने कहाँ ले जाए ।
जिव्हा से टकराते अनगिनत स्वाद
जाने कहाँ ले जाएं ।
भटकते इंसान अनजान राहे
जाने कहाँ ले जाए ।
तकनीकी और यंत्रों का ये बाजार
जाने कहाँ ले जाए ।
मशीनों से धड़कते हृदय
जाने कहाँ ले जाए ।
रॉबर्ट से बने इंसान
मृत्यु पर विजय पाने की फिराक में
जाने कहाँ ले जाए ।
लक्ष्मी को पूजनेवाले
मुद्रा और मदिरा के पीछे भाग रहे
जाने कहाँ ले जाए ।
खेतों-खलियानों को सीमेंट से ढापते ये घर
जाने कहाँ ले जाए ।
कैप्सूलों में सिमटती थालियाँ
जाने कहाँ ले जाए ।
नैनोटेक्नोलॉजी में सिमटती ये दुनिया
जाने कहाँ ले जाए ।
अंदर से होते खोखले जिस्म
जाने कहाँ ले जाए।
संतुलन से परे भागते ये मानव
जाने कहाँ ले जाए।