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Avinash Mishra

Abstract

2.0  

Avinash Mishra

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जाना है खाली हाथ

जाना है खाली हाथ

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बंद मुट्ठी है आना, खाली हाथ है जाना

फिर क्यों लिख रहे हो झूठ का फसाना।


हर युग कहता है गाओ सच का तराना

फरेब में जो माहिर, गाते सब वही गाना।


पिसती जिंदगानी, चलती जुल्म की मनमानी

ताकत सब पर भारी, हर तरफ यही कहानी।


फिर भी कहता हूँ, बात सबने है यह मानी

पाप को हर युग में, सच से मुंह की खानी।


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