Senior Chief Sub Editor Dainik Jagran, Jalandhar.
दर्द ही देता है कभी घर का लाल बेटियों के जन्म पर इतना मलाल। दर्द ही देता है कभी घर का लाल बेटियों के जन्म पर इतना मलाल।
फिर भी कई सवालों से घिरी जिंदगानी है। फिर भी कई सवालों से घिरी जिंदगानी है।
संगमरमर की मूरत या काया किसने फुरसत से तुझे बनाया। संगमरमर की मूरत या काया किसने फुरसत से तुझे बनाया।
क्यों तोड़ दिया हर सपना। तुझ में ही था जहां अपना।। क्यों तोड़ दिया हर सपना। तुझ में ही था जहां अपना।।
क्या-क्या कहूं, मेरी कायनात है तू। क्या-क्या कहूं, मेरी कायनात है तू।
मुझे याद आता है वो गुजरा जमाना। मुझे याद आता है वो गुजरा जमाना।
मेरे हर जज्बात में है तू। मेरे हर सफर में संग है तू।। मेरे हर जज्बात में है तू। मेरे हर सफर में संग है तू।।
हर एक की जिंदगी का रखता हूं हिसाब। वक्त आने पर दे देता हूं सबका जवाब।। हर एक की जिंदगी का रखता हूं हिसाब। वक्त आने पर दे देता हूं सबका जवाब।।
पाप को हर युग में, सच से मुंह की खानी। पाप को हर युग में, सच से मुंह की खानी।
निकला चौकीदार, था वह बहरा निकला चौकीदार, था वह बहरा