Avinash Mishra
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Senior Chief Sub Editor Dainik Jagran, Jalandhar.

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अपने अल्फाज हर किसी के लिए बर्बाद न कर। तुझे कौन समझता है, यह देख खामोश रह कर।।

सच हर मोड़ पर परेशान होता है पर आखिरी सफर उसके लिए खूबसूरत अहसास होता है।

निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। -कबीर दास

दिल उदास क्या करना, बदहवास क्या होना। फूल का मुकद्दर है, शाख से जुदा होना। एक शायर

डिग्रियां बताती हैं कि आदमी कितना शिक्षित है। बोले गए शब्द बताते हैं कि आदमी कितना सुशिक्षित है।।

जैसा संग, वैसी सोच। जैसी सोच, वैसे कार्य।। जैसे कार्य, वैसी पहचान। जैसी पहचान, वैसा सम्मान।।


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