इतिहास गवाह है
इतिहास गवाह है
इतिहास गवाह है
कि मानव ने
मानव के साथ
बहुत ज्यादतियाँ की है
रंग रूप व जाति धर्म को लेकर
दूसरे पर राज करने के नाम
अपनी महत्ता जताने के नाम पर दूसरे का खजाना
लूटने के लिए
युद्ध पर युद्ध।
कहते हैं,
वह असभ्य समाज था।
कहने को अब सभ्य समाज है
कुछ बदला क्या
विशेष नहीं
केवल तरीके बदले।
वही घृणा, ईर्ष्या,
संघर्ष, तनाव
वही रंग रूप,
जाति धर्म को लेकर युद्ध
वही लड़ाइयां
वही जंग
पहले तलवारों और तीरों से होती थी
अब मिसाइल, बम, हवाई हमलों से।
समाज ऐसे ही चलेगा।
हज़ारों गुरु उपदेश देते रहेंगे
सन्त महात्मा भी
अपनी भाषा बोलते रहेंगे
व्हाट्सएप पर
जितना मर्ज़ी बखान होता रहे
कहने को
अध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता रहे
कुछ नहीं बदला
न कुछ बदलेगा।
उस व्यक्ति में ही
बदलाव की संम्भावना है
जिसने स्वयं को समझ लिया
स्वयं में बदलाव ला कर
विकसित हो गया।
वही पार हो गया।
व्यक्ति बदलेगा तो
समाज अवश्य बदलेगा।