इसी तर्ज पर !
इसी तर्ज पर !
कभी अर्श पर ,
कभी फर्श पर ।
जीवन चलता ,
इसी तर्ज पर ।।
कभी आह बन ,
ठहर - ठहर कर।
कभी चाह बन ,
संवर संवर कर ।।
कभी स्वर्ग बन ,
कभी नरक बन।
जीवन चलता ,
इसी तर्ज पर ।।
कभी चिता बन ,
अग्नि सेज पर।
कभी नेह बन ,
पुष्प सेज पर।।
कभी भिगो कर ,
कभी चुभो कर।
जीवन चलता ,
इसी तर्ज पर।।
कभी वायरस मदिरा लेकर ,
कभी परास्त हौसले लेकर।
कभी ठगी सी , दबी - दबी सी ,
कही - अनकही बातें लेकर ।।
अल्प ज्ञान पर ,
छुद्र मान पर।
जीवन चलता ,
इसी तर्ज पर ।।
