इश्क़ कोई खेल नहीं
इश्क़ कोई खेल नहीं
ज़ख्म दे जो वो मरहम लगाता नहीं।
रूठ जाए जो खुद वो मनाता नहीं।
इश्क़ है ये कोई खेल थोड़ी न है,
उसको होता तो तुझ को रुलाता नहीं।
ज़ख्म दे जो वो मरहम लगाता नहीं।
रूठ जाए जो खुद वो मनाता नहीं।
इश्क़ है ये कोई खेल थोड़ी न है,
उसको होता तो तुझ को रुलाता नहीं।