Suresh Koundal

Abstract Romance Tragedy

4.7  

Suresh Koundal

Abstract Romance Tragedy

इश्क़ और चाय

इश्क़ और चाय

1 min
292


तेरे हुस्न की और मेरे इश्क़ की 

हर इक बात निराली है।

पर तेरे इश्क़ से अच्छी,

मेरी चाय की प्याली है।।


दीवानगी इस चाय की 

तेरी मुहब्बत से अज़ीज़ है।

तेरा इश्क़ फीका पड़ जाए

ये ऐसी मीठी चीज़ है।।


बेशक तू बड़ी गोरी,

ये नाज़नीं थोड़ी सांवली।

तू अभी जिस्म में अटकी,

ये रूह में जा मिली।।


तेरे इश्क़ और चाय का

एक अलग अफ़साना है

तुझे हर पल मनाना है 

इसे तो सिर्फ बनाना है ।।


फर्क इतना सा है ,

चाय की तलब में और तेरे दीदार में,

चालाकियां तेरे इश्क़ में ,

वफायें चाय के प्यार में ।।


घूंट भरते रहे हम,

और तुझे सोचते रहे ।

शतरंज खेलते रहे तुम

मुझे मात देते रहे ।।


चस्का लग गया इस चाय का 

अब मरने पर ही जायेगा 

ये ज़ालिम इश्क़ नहीं तेरा

जो बेवफा हो जाएगा ।।


नीयत साफ है इसकी 

बेशक रंग से काली है।

हाँ तेरे इश्क़ से अच्छी,

ये मेरी चाय की प्याली है ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract