इश्क
इश्क
इशका दा चला वीजणा
धून थी इकतारे में
दम दम दम दम दम दम दम दम दमदम
साड्डे नाल चढगी चौबारे में साड्डे नाल चढगी चौबारे में
साड्डे नाल बढ़ेगी बुखारे में.............. 2
1
सोने मुखड़े पर सोणा रूप उसका छलका था
होठ है गुलाबी उसके रंग पंखुड़ियों,सा चमका था
जोबन तो चढ़ा जोर कासोणी लागे थी सोणे सरारे में
2
सोणी के रूप की आदत सी हो गई
काली घटा छाई वह बाहों में सो गई
नक्काशी चेहरे की हाय चंदा मोर का
सोणा मुखड़ा छट गया चंद सितारे में
3
पागल सा दिल हो गया
सोणी के ख्यालों में खो गया
उसे चुरा लूं दुनिया से बन जाऊं मैं तो चोर
ऐसे बस गई दिल बीच दिखती है नजारे में।

