इश्क की बेपरवाही
इश्क की बेपरवाही
नहीं हो सुनते जो दिल की बातें,
खता नहीं इसमें मेरी कुछ है,
कभी खयालों में बैठो जो तुम,
तभी तो जानो की ये हसीं है।
कभी करो जो तुम दिल बातें,
कभी जो कुछ पल को गुफ़्तगू हो,
हमारी धड़कन में तुम ही बसते,
कभी जो समझो तो ये हसीं है।
हमेशा करते है फ़िक्र उनका,
हमेशा ख्यालों में ख़्वाब बुनते,
पल एक ये ख़्वाब रूठ जाये,
तो दर्द मानोगे की हसीं है
तुम्हें कदर ही नहीं हमारी,
न मेरे दर्द का ही खबर है,
जो मेरे दर्द को तुम मिलोगे,
तभी तो मानोगे की हसीं है।
तुम्हें बताने की जुस्तजू में,
किया जो बर्बाद खुद को हमने,
मग़र अभी तक भी तुम न समझे,
की बंदगी ये बड़ी हसीं है।

