इश्क और समाज
इश्क और समाज
प्रेमियों को तो प्रेम धुन लगी है
और समाज को नियमों की पड़ी है
सारी दुनिया की बातें भूल वो
इश्क में मशगूल है,
एक दूजे की आँखों में आँखें डालकर
इश्क फरमाते हैं,
कायदे कानून की चिंता में
वे कहाँ पड़ते हैं,
शुरू से ही समाज इश्क के खिलाफ है,
अपने ही कुछ नियमों से बंधा है
इश्क और समाज में छत्तीस का आंकड़ा है।