इस समाज को
इस समाज को
इस समाज को प्रेम स्वीकार नहीं
हरपल करता ये व्यापार है
सच्चाई इसे कहाँ पसंद है
भ्रम का ही यहाँ प्यार है
जब जब कोई सही मार्ग पर चलना चाहे
ये हरपल आकर टांग अड़ाये
मन ही मन जलता जाये
बाहर से सिर्फ हंसी उडाये
इस समाज को प्रेम स्वीकार नहीं
हरपल करता ये व्यापार है
सच्चाई इसे कहाँ पसंद है
भ्रम का ही यहाँ प्यार है।

